12-Sep-2018
जुनून और विश्वास दोनो ही ऐसी भावनाएं हैं जो किसी भी व्यक्ति के जीवन में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकती हैं| 12 वर्षीय लड़की, अनगर की कहानी, इसी बात का सबसे बेहतर उदहारण हैं|
डीलेनी को तीन साल की उम्र में, पता चला की वह ऑस्टियोसोर्कोमा नामक आक्रामक बोन-कैंसर की शिकार हैं, लेकिन इस छोटी लड़की के जोश व उत्साह ने उसे अपने जीवन की इस सबसे बड़ी लड़ाई लड़ने में मदद की|
कैंसर डीलेनी के घुटने में फैल गया और जब डॉक्टर ने इसका ईलाज किया, तो डीलेनी के जीवन को बचाने के लिए, कीमोथेरेपी और उसके बाएं घुटने को काटना ही एकमात्र विकल्प था|
डीलेनी को तीन साल की उम्र से ही डांसर बनने का जूनून सवार था जो की एक पल में ही चकनाचूर हो गया|
आम तौर पर ओस्टियोसोर्को के मामलों में, लगभग 90% रोगियों के घुटने का कृत्रिम प्रत्यारोपण किया जाता हैं, जिससे बच्चों की स्थिर वृद्धि होती है और चूंकि डीलेनी सिर्फ तीन साल की ही थी, इसलिए उनकी वृद्धि गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती थी| लेकिन डीलेनी की किस्मत ने उनका साथ दिया|
कैंसर के अजीब स्थान पर होने की वजह से (केवल डीलेनी के घुटने पर ही कैंसर का प्रभाव था, उसके पैर के नीचे का हिस्सा सही सलामत था) डीलेनी के पैर की रोटेशनप्लास्ट नामक एक दुर्लभ सर्जरी की गई|
डॉक्टर्स ने डीलेनी के घुटने को सर्जरी करके 180 डिग्री में बदल दिया, इसे इस तरह से लगाया गया था कि यह घुटने के रूप में काम आ सकता था|
यह सर्जरी डीलेनी के जीवन को बदलने वाली थी, क्योंकि वह उम्र में काफ़ी छोटी थी और डीलेनी के माता-पिता को भी इस सर्जरी पर यकीन नहीं था| लेकिन तीन वर्षीय डीलेनी ने साहस दिखा कर कहा, "कम से कम मुझे कोशिश करने और असफल होने का मौका मिलेगा|"
इसलिए, सर्जरी की गई और एक कृत्रिम पैर की बजाय एक प्राकृतिक जॉइंट ने डीलेनी को उन कामो को करने में मदद की जो कृत्रिम पैर द्वारा संभव नहीं हो सकता था|
आज वही 12 वर्षीय डीलेनी अपने डांसर बनने के सपने को पूरा करने में कामयाब रही है|
डीलेनी का ओपरेशन करने वाले डॉक्टर, फ़ज़ल खान जो की ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं ने बताया कि, "वह हमें हर रोज़ अपने डांस और चलने में की तेज़ी से अचंभित कर रही हैं वह काफ़ी तेजी से प्रगति कर रही है। हमारे पास उनके चलने और डांस के वीडियो हैं, और जब उन्होंने पैंट पहन रखी होती हैं, तो यह कहना असंभव है कि डीलेनी के पैर की कभी सर्जरी हुई भी थी|"
डीलेनी का यह सफ़र कठिन हो सकता है, लेकिन उनकी हिम्मत और साहस ने उसे जीने की प्रेरणा दी| और आज डीलेनी उसकी ही तरह ऐसी बीमारी लड़ने वालों के लिए एक प्रेरणा बनना चाहती है|
डीलेनी ने सभी को यह संदेश दिया कि, “कभी यह ना कहें कि 'मैं यह नहीं कर सकता या कर सकती| बस इसे आज़माएं, और यदि आप इसे नहीं कर पाए, तो यह ठीक है, लेकिन अगर आपने वास्तव में कभी कोशिश नहीं की है, तो आपको कम से कम कोशिश तो करना ही चाहिए| भले ही यह आपके लिए एक रुकावट होंगी, लेकिन फिर आपको बस चलते रहना होगा|”
डीलेनी ने यह साबित किया की, अगर आपमें कुछ करने का होंसला और साहस हैं तो आप मुश्किल से मुश्किल चुनौतियों का भी सामना कर सकते हैं|
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