22-Jun-2018
केंद्र सरकार के विभागों और ऑटोनोमस संस्थाओ के लिए सेमिनार, कोन्फेरेंस और वर्कशॉप्स या इस तरह की इवेंट के आयोजन में यदि व्यय ₹ 40 लाख से अधिक हो तो वित्त मंत्रालय की मंजूरी मांगने का एक जनादेश जारी कर दिया है।
केंद्र ने इस तरह की इवेंट के लिए दिए जाने वाले बिल्स की बढ़ती संख्या की जांच करने का फैसला किया है। यदि इवेंट प्रपोसल में 40 लाख से अधिक खर्चा हो तो उसे वित्त मंत्रालय सम्बंधित सलाहकार द्वारा अप्रूव करवाना होगा|
डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सपेंडीचर स्टैट्स ऑफिस द्वारा जारी किये गए ज्ञापन में कहा गया हैं कि- “यह निर्णय लिया गया हैं कि अब से इंटरनेशनल के साथ साथ जिस डोमेस्टिक सेमिनार/कांफेरेंसस/वर्कशॉप आदि के लिए 40 लाख रूपये से अधिक लागत का व्यय होगा उस प्रपोसल्स को डिपार्टमेंट को रेफेर करने की आवश्यकता होगी|
यह भी कहा गया हैं कि विभागों को ट्रावेल और एकोमोडेशन के सम्बन्ध में सबसे ज्यादा इकॉनोमी और कठोर नियम का उपयोग करना चाहिए और इस सम्बंधित खर्च को कम से कम रखा जाना चाहिए|
इसके अलावा यह भी बताया गया है कि बिज़नेस और ट्रैड को बढ़ाने के लिए और ब्रांड इंडिया प्रोजेक्ट के प्रमोशन करने के अलावा विदेशों में एक्स्हिबीशन्स, फेयर्स, सेमिनार्स, कांफेरेंसस, वर्कशॉप पर भी ध्यान देने की ज़रूरत हैं|
वित्त मंत्रालय के एक सीनियर ऑफीसर ने बताया कि, कई मंत्रालयों में फेयर्स और वर्कशॉप्स का खर्च असामान्य रूप से बहुत ज्यादा थे| इसके अलावा कई मामलों में, फ़ूड व बेवरेजेस के बिल्स भी काफ़ी ज्यादा थे| ऐसी इवेंट्स का मुख्य उद्देश्य ब्रेनस्टॉर्म करना होता हैं| इसमें इसकी कोई ज़रूरत नहीं हैं| उन्होंने यह भी बताया की सरकार भविष्य में इस तरह के एक्सपेंडिचर की बारीकी से जांच करेगी|
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