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आदिल हुसैन को सर्वश्रेष्ट नार्वेजियन पुरस्कार!

20-Aug-2018

भारतीय अभिनेता, आदिल हुसैन ने नार्वेजियन फिल्म, 'व्हाट विल पीपल से' के लिए सर्वश्रेठ अभिनेता का पुरुस्कार जीता, जो की इमीग्रेशन की प्रष्ठभूमि पर बनी फिल्म हैं| नार्वेजियन अमांडा पुरस्कारों में यह सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है जो किसी भारतीय अभिनेता को मिलने वाला सर्वप्रथम पुरुस्कार है|

नार्वे में जन्मी फिल्म निर्माता इरम हक ने इस फिल्म को निर्देशित किया है जिसने सभी फिल्मो को पीछे छोड़ सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशन और सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट के लिए पुरस्कार भी जीता है, जिसे नार्वेजियन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के रूप में जाना जाता है|

पुरस्कार प्राप्त करने के बाद आदिल हुसैन ने बताया, "यह पुरस्कार वास्तव में कई तरीकों से मेरे लिए बहुत मायने रखता है। यह महत्वपूर्ण हैं और साथ ही प्रेरणादायक भी है। सबसे पहले, यह फिल्म आप्रवासियों और उनकी कठोर मूल्य प्रणाली के बारे में है, जिसे वे दुनिया के विभिन्न हिस्सों से ले कर आए हैं| यह फिल्म नॉर्वे में ही जन्मी लड़की द्वारा निर्देशित की गई है। यह लोकतंत्र की प्रबलता और डिग्री व नॉर्वे के लोकतंत्र की समावेशिता की मात्रा के बारे में बताती है। "

उन्होंने कहा, "आदिल हुसैन जो भारत से हैं, व जिनका नॉर्वे के साथ कुछ भी लेनादेना नहीं था, ने इस देश में अपने पैर जमाए हैं,  इस फिल्म के लिए पहली बार उन्होंने वहाँ जा कर शूटिंग कि व सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता , जो कि कला की समावेशिता का सबसे महान उदाहरण। "

आदिल ने इस फिल्म में एक अत्यधिक स्नेह करने वाला लेकिन साथ ही नियंत्रण में रखने वाले पिता की भूमिका निभाई है, जो पहले से ही “कोसमोरमा फिल्म फेस्टिवल” में कानन अवॉर्ड जीत चुकी है, जो की नॉर्वे के अकादमी पुरस्कारों के बराबर है।

५४ वर्षीय अभिनेता, इस चरण तक पहुंचने का लंबा सफर तय कर चुके हैं जो असम के गोलपाड़ा जिले में बहुत विनम्र शुरुआत से शुरू हुआ था। स्टैंड-अप कॉमेडियन के रूप में अपना करियर शुरू करने के बाद, आदिल दुनिया भर की महत्वपूर्ण फिल्मों में काम कर चुके हैं|

आदिल ने कहाँ कि, "मुझे लगता है, और यह हमारी विडंबना है कि भारत के पास शुरुआत से ही ज्ञान और परंपराओ समावेश की संस्कृति हैं| मुझे लगता है कि यह आश्चर्यजनक व हास्यास्पद है जिसे बदलना ज़रूरी है। साथ ही साथ मुझे लगता है कि अन्य पहलू यह महत्वपूर्ण रहा कि जिस तरह से असम का  हिमा दास हैं उसी तरह मै भी  एक छोटे से शहर से और एक गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि से हूँ, मैं बिना दूध के चाय पीता था क्योंकि मेरे पिता के पास दूध के पैसे नही थे , इससे यह साबित होता है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां से हैं या आपकी आर्थिक पृष्ठभूमि क्या है, यदि आप अपने सपनों को, जुनून को और अपने प्यार को पूरा करना चाहते हैं, तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता है, ऐसा मेरा मनाना हैं| "

आदिल ने द रिलक्टेंट फंडामेंटल और लाइफ ऑफ़ पाई जैसी अन्तर्राष्ट्रीय फ़िल्मों सहित इंग्लिश-विंग्लिश, कमीने, पार्चड, एजेंट विनोद, लूटेरा, इश्किया सहित कई सारी फिल्मो में अपने अभिनय की छाप छोड़ी है|

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