इवेंट इंडस्ट्री एक सुसज्जित उद्योग के रूप में उभर रही है जिसके द्वारा 5 लाख से ज्यादा लोगों के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त करवाए जाते है | प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इवेंट इंडस्ट्री कुशल और अकुशल, शिक्षित और अशिक्षित के प्रोफेशनल्स के समूह को अवसर देता है। यह कहा जा सकता है कि अगर सरकार द्वारा कुछ बाधाएं दूर कर दी जाती हैं, तो इवेंट इंडस्ट्री अतुलनीय गति से बढती जाएगी ।
इवेंटा के माध्यम से हम इवेंट इंडस्ट्री के विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों के समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत में, 14 फरवरी 2000 को केंद्रीय सरकार ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 19 86 के अंतर्गत प्रदत्त अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए नॉइज़ पोल्यूशन (विनियमन और नियंत्रण) नियमों को लागू किया, ताकि विभिन्न स्रोतों से सार्वजनिक स्थानों में बढ़ते परिवेश में शोर शराबे के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। नॉइज़ पोल्यूशन 2000 के नियम 5 में ज्यादा आवाज़ में स्पीकर / पब्लिक एड्रेस सिस्टम के इस्तेमाल पर प्रतिबंधित है। ध्वनि उत्पादक उपकरणों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए नियम 5 को 2010 में संशोधित किया गया था। ऐसे मामलों में, लिखित अनुमति जरूरी होती है|
कैलेंडर वर्ष के दौरान किसी भी सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजनों के अवसर पर 15 दिनों तक कि सीमित समय अवधि के दौरान लॉउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार को इसका कार्यभार दिया गया। लेकिन रात 10 बजे से 12 बजे मध्यरात्री के बीच लॉउडस्पीकर का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी गई।
नॉइज़ पोल्यूशन 2000 के कार्यान्वयन के घोर उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 18 जुलाई 2005 को नॉइज़ पोल्यूशन के लिए महत्वपूर्ण निर्णय से छुटकारा दिलाया। सार्वजनिक स्थानों पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लॉउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था (आपातकालीन स्थिति में छोड़कर) अदालत ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 141 और 142 के तहत अपनी शक्तियो का इस्तेमाल कर, नॉइज़ पोल्यूशन के संबंध में व्यापक दिशा जारी की है।
भारत में प्रत्येक धर्म को स्वतंत्रता का अधिकार है और अपने धर्म का अभ्यास करने का अधिकार है। अधिकांश नियम हिंदू त्योहारों पर और कुछ हद तक अन्य धर्मों के लिए भी लागू होते हैं। विभिन्न मशहूर हस्तियों की धार्मिक टिप्पणियों ने सोशल मीडिया पर बहुत बड़ा तूफान खड़ा किया । हालांकि बहुत से लोगों ने उन्हें समर्थन दिया, जबकि कुछ अन्य ने हिंदू त्योहारों के उत्सव के दौरान उत्पन्न शोर-शराबे के कारण होने वाली असुविधाओ के बारे में भी बात की थी, परन्तु इसका कोइ भी नतीजा निकल कर नही आया|
हालांकि कुछ इवेंट्स के लिये ध्वनि की सीमा केवल उस क्षेत्र तक ही सीमित होती है जहां इवेंट्स होती है और वे स्थान आमतौर पर सार्वजनिक स्थलों से दूर ही होते है । कुछ लोगों और स्थानीय पुलिसकर्मियों के द्वारा फिर भी कई आपत्तियों उठाई जाति है और इवेंट्स के दौरान बाधाएं डालने की कोशिश की जाती है, बिना इस चीज को समझे कि एक इवेंट्स की स्थापना के दौरान कितनी मेहनत कि जाती है। सरकार को विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किए जाने वाले ध्वनि प्रदूषण कानूनों को पुन: स्पष्ट कर इसकी समीक्षा करनी चाहिए जैसे कि:
(1) डेसीबल के संबंध में विशिष्ट नीति होनी चाहिए, जिस तरह से यह इवेंट के और त्योहारों के लिए तैयार किया गया था।
(2) सरकार को खाली स्थान और ग्राउंड की पहचान करनी चाहिए जहां कोई नजदीकी निवास स्थान नहीं हो और इवेंट्स के समय किसी को भी परेशान किए बिना आसानी से आयोजित किया जा सके।
(3) नवरात्री और गणेश चतुर्थी जैसे बडे समारोह के शुरुआती घंटों में ध्वनि तेज़ करने के लिए छूट दी जानी चाहिए।
(4) नियमों और धार्मिक भावनाओं को बाधित किए बिना सरकार को त्यौहारों और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार उत्सव मनाने की जरूरत को समझना चाहिए।
(5) ऐसी इवेंट्स के दौरान जांच अधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड होना चाहिए, न कि पुलिस को।
(6) उन्हें पर्याप्त तथ्यों और उपकरण दिए जाना चाहिए जिससे डेसीबल को मापा जा सके।
हमारे माननीय प्रधान मंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जो कि खुद एक अच्छे इवेंट मेनेजर हैं, उन्होंने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय इवेंट्स उद्योग को आगे लाने का प्रयास किया है। यह नॉइज़ पोल्यूशन कानूनों को इवेंट उद्योग के लिए स्पष्ट और सटीक संशोधन बनाने के लिए माननीय प्रधान मंत्री जी से अनुरोध करते है| I&B (Information & Broadcasting) मंत्रालय से भी नई नीति तैयार करने से पहले अन्य देशों की विभिन्न नॉइज़ पोल्यूशन नीतियों पर विस्तृत शोध करने के लिए भी आग्रह करते है|
https://fortress.wa.gov/ecy/publications/documents/17358.pdf
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