डेमोनेटिज़ेशन और जीएसटी भारतीय आर्थिक सुधार का ऐसा पैमाना हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करता हैं। जिसके कारण इवेंट उद्योग के क्षेत्रों में और मुख्य रूप से भारतीय वेडिंग इंडस्ट्री में भारी बदलाव आया है|
आगामी शादियों के सीज़न कि बात करे तो भारतीय वेडिंग इंडस्ट्री अपने आप में बहूत बड़ी इवेंट इंडस्ट्री है। भारतीय वेडिंग इंडस्ट्री लगभग एक करोड़ ख़रब तक होने कि संभावना है| सालाना यह ग्राफ 25 से 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। भारत में एक शादि की अनुमानित लागत 3 लाख रुपये से 8 करोड़ रुपये के बीच होती है और बड़े पैमाने पर यही शादियाँ 10 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ तक होती है।
भारत में आने वाले शादियाँ के सीज़न में डेमोनेटिज़ेशन और जीएसटी के दुष्परिणाम भी हो सकते है| परिणामस्वरूप लोगों को खर्च करने के बारे में सोचना पड़ता है। ASSOCHAM के अनुसार, लोगों को आभूषण और परिधानों की खरीद, सैलून, ब्यूटी पार्लर, फोटोग्राफी में, यहां तक कि होटल / शादियों के स्थान, कूरियर या फिर शादियों से संबंधित अन्य सेवाओं जैसे खरीदारी, टेंट-बुकिंग, खानपान आदि सेवाओं की औसत लागत GST के बाद बढ़ गयी है, क्योंकि उनमें से ज्यादातर चीजो के दाम 18-28 फीसदी के बीच GST दरों के कारण ज्यादा हुए है| जो पहले इतने फीसदी नहीं थे। जीएसटी के आने से पहले, शादियों में इन सेवाओ के रजिस्ट्रेशन पर कोइ टेक्स नहीं लगता था, GST लागू होने के बाद इन सभी के दामो में बढ़ोतरी हुई है|
सामान्य परिवारों कि शादियों में होने वाले आम खर्चो पर डेमोनेटिज़ेशन और जीएसटी के कारण हुई दामो कि बढ़ोतरी के बाद, इस बार शादियों का मौसम, भारतीय वेडिंग इंडस्ट्री के लिए थोडा फीका रहेगा|
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